मैं जब चेन्नई आया तो इन्टरनेट पर बहुत जानकारियां ढूंढी पर हिंदी में कुछ नहीं मिला.अलबत्ता अंगरेजी में थोड़ी बहुत काम लायक बातें मिल गयीं.इसलिए मैंने विचार किया कि कुछ हिंदी में भी जानकारी उपलब्ध कराइ जाय चेन्नई के बारे में.
सबसे पहले मैं ये कहता चलूँ कि इस ब्लॉग में लिखीं बातें मेरा निजी विचार और अनुभव है.यदि किसी बंधू को ये बातें बुरी लगें तो वो मुझे माफ़ करें.किसी को किसी भी प्रकार कि तकलीफ पहुँचाना मेरा मकसद नहीं.मेरा मकसद चेन्नई कि जानकारी हिंदी में पहुचाना है.
बात कुछ यूँ हुई कि मेरी कंपनी के मैनेजर ने एक दिन मुझसे कहा कि क्यूँकि आपके पास फिलहाल कोई काम नहीं है इसलिए आप चाहें तो चेन्नई आ सकते हैं.बहुत सोच विचार कर मैंने हाँ कर दी.हालाँकि मेरे कई शुभचिंतकों ने कहा कि चेन्नई बहुत गंदी जगह है मत जाओ.यहीं पर कोई काम ढूंढ लो.मन हताश हो गया.लेकिन उन्ही में से किसी ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है मैं वहां रह कर आया हूँ.अच्छी जगह है जाओ.खैर उनकी बात से थोडा बल मिला और अंततः मैंने हाँ की मेल कर दी.कंपनी ने 17 जुलाई कि टिकेट करा दी.
सम्पूर्ण तमिलनाडु में दूसरे जगह के लोगों के लिए भाषा एक समस्या है-ऐसा मैंने सबसे सुन रखा था.काफी डरा हुआ था.फ्लाईट से उतरने के बाद क्या करूंगा.सोने पे सुहागा ये कि मेरी फ्लाईट रात के 12 बजे चेन्नई पहुँचने वाली थी.ज्यादा तो नहीं लेकिन थोड़ी घबराहट जरूर थी.लेकिन जब मैंने अपना सामान लेकर चन्नी हवाई अड्डे से निकालने को हुआ तभी एअरपोर्ट टैक्सी का काउंटर दिख गया.जान में जान आयी.काउंटर पर गया.एक पर्ची पर एड्रेस लिख रखा था.दिखाया.उसने तुरंत 280 रुपये कि पर्ची काट दी.खैर टैक्सी वाला आया .मैं उसमे बैठा उसको पर्ची दिखाया.उसने तमिल में कुछ कहा.समझ में नहीं आया.खैर उसमे लिखा था "Near IIT Gate ".ये भी लग रहा था कहीं ये रात में इधर उधर न घुमाये.लेकिन 15 -20 मिनट में ही आई आई टी का गेट दिख गया.जान में जान आयी.फिर एक नयी समस्या आ गयी.उसके आगे कहाँ जाना है ड्राईवर को भी नहीं पता था.उसने मुझसे पूछा ,तमिल में,मैंने जवाब दिया इंग्लिश में.उसे कुछ पल्ले नहीं पड़ा.फिर मैंने पूछा हिंदी मालूम?जवाब आया - NO .विकट समस्या. फिर अचानक याद आया ..यार फ़ोन भी तो है.फिर मैंने केयर टेकर को फ़ोन लगाया.बात इंग्लिश में हुई.उसने कहा सर ड्राईवर को फ़ोन दे दो.फिर उसने ड्राईवर को रास्ता समझाया.हम लोग सामने ही खड़े थे.इस तरह रात को एक बजे अपने आराम गृह पहुंचा.
आगे की बातें अब आत्मकथात्मक शैली में नहीं होंगी.
अब एक सूचना की तरह हर चीज़ के बारे में अपना विचार रखूंगा और अपना खट्टा/मीठा अनुभव आपको बताऊंगा.
चेन्नई की सड़कें
सड़के ठीक हैं.गड्ढे मैंने कहीं नहीं देखा.हाँ जो लोग दिल्ली से आते हैं उनके लिए निराशा जरूर होगी.सड़के उतनी चौड़ी नहीं हैं.जो सबसे अच्छी सड़क है वो है एअरपोर्ट वाली..जो हर जगह अच्छी होती है.यहाँ की जनसंख्या और ट्रेफिक के हिसाब से सड़कें काफी छोटी हैं.ऑफिस टाइम में गुडगाँव-कापसहेडा बोर्डर का नजारा हर जगह दीखता है और ट्रैफिक की रफ़्तार 10-12 किलोमीटर प्रति घंटा होती है.दिल्ली से यहाँ आने के बाद खीज सी मच जाती है.मुझे भी होती थी.12 कि मी के लिए 45 min लगते थे. अब आदत हो गयी है.सडकों के नाम भी मस्त हैं-100 फीट रोड,200 फीट रोड ..100 फीट रोड का मतलब ये कभी न लगायें कि ये सड़क 100 फीट चौड़ी है.हो सकता है वो सिंगल लेन की सड़क हो.मैंने भी कुछ लोगों से पूछा -लेकिन कोई सतोषजनक जवाब नहीं पाया.
जो सबसे अच्छी बात है वो ये है कि यहाँ लेन ड्राईविंग देखी.हालात से आदमी सीख गया है.लोगों में हड़बड़ी नहीं देखा.लोग लेन कम ब्रेक करते हैं.यहाँ ट्राफिक रुका हुआ कम दीखता है.कारन है लोग धैर्यपूर्वक सिग्नल का इंतज़ार करते हैं और एक लेन में खड़े रहते हैं.हिन्दुस्तान में ऐसा होगा ..भरोसा नहीं था.और इस निष्कर्ष पर भी पहुंचा कि सड़कें पतली होने पर भी ट्रैफिक smooth चल सकता है.
bhai sahab aapne dil khush kar diya chennai k baare me itna achha representation koi nahi de sakta tha....
ReplyDeletemai to logo ko yahi suggest karunga ki bhai apne risk par hi chennai aaye lolzz